Book your private session

Get genuine guidance from
Pandit Basant Vyas Ji

Book Now

BLOG

कर्क संक्रान्ति महत्व

Blog Image

कर्क संक्रान्ति महत्व

Posted on 15 July 2025 | by Astro Star Talk

🌞 कर्क संक्रान्ति: महत्व, तिथि और धार्मिक रहस्य

भारत में संक्रान्ति का विशेष महत्व है। हर संक्रान्ति सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को दर्शाती है। कर्क संक्रान्ति भी ऐसा ही एक महत्वपूर्ण दिन है जब सूर्य मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करता है, और इसके साथ ही उत्तरायण समाप्त होकर दक्षिणायन प्रारंभ होता है।


🗓️ कर्क संक्रान्ति कब होती है?

प्रत्येक वर्ष 16 या 17 जुलाई को कर्क संक्रान्ति होती है। 2025 में यह 16 जुलाई को मनाई जा रही है। इस दिन सूर्य कर्क रेखा के सीध में आ जाता है, जो कि भारत के मध्य भाग से होकर गुजरती है।


🌞 धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

  1. दक्षिणायन की शुरुआत:
    इस दिन से सूर्य की दक्षिणायण गति शुरू होती है।
    उत्तरायण में देवताओं का दिन होता है, जबकि दक्षिणायन में रात।
    अतः कर्क संक्रान्ति के बाद, श्राद्ध, तर्पण और पितृ कार्यों का महत्व बढ़ जाता है।

  2. दान और स्नान का पुण्यकाल:
    शास्त्रों में कहा गया है –
    "संक्रान्तौ दानं महापुण्यदायकम्।"
    इस दिन किया गया स्नान, दान, तर्पण और जप हजार गुना फल देता है। विशेष रूप से तिल, वस्त्र, छाता, जूते, जल से भरे घड़े, पंखा, खड़ाऊँ, अन्न का दान उत्तम होता है।

  3. पितृ कार्य और कर्मकांड:
    दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि और पितरों का दिन माना जाता है।
    इसलिए इस काल में श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोजन, पितृ यज्ञ का महत्व बढ़ जाता है।
    साथ ही, देव कार्य भी संपन्न किए जाते हैं, परंतु विशेष फल उत्तरायण में ही बताए गए हैं।


🌞 वैज्ञानिक दृष्टि से

  • इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर सीधा होता है, जिससे भारत के उत्तरी क्षेत्रों में वर्षा ऋतु प्रबल होती है।

  • कर्क संक्रान्ति के बाद दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं।

  • यह समय मानसून के चरम का भी संकेतक होता है।


🙏 कर्क संक्रान्ति पर क्या करें?

✅ प्रातःकाल पवित्र नदी, कुएँ या घर में स्नान करें।
✅ सूर्य को जल अर्पित करें।
✅ "ॐ आदित्याय नमः" मंत्र का जाप करें।
✅ तिल, गुड़, वस्त्र, फल, छाता, जल का दान करें।
✅ पितरों के निमित्त तर्पण करें।
✅ जरूरतमंदों को भोजन कराएँ।
✅ व्रत और संकल्प लेकर दिन का शुभारंभ करें।


📜 पुराणों में उल्लेख

स्कंद पुराण, नारद पुराण, भविष्य पुराण आदि ग्रंथों में कर्क संक्रान्ति का विशेष उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि –
“कर्क संक्रान्ति के पुण्य काल में स्नान, दान, जप, हवन, तर्पण, मंत्र सिद्धि, पितृ कार्य और साधना तुरंत फलदायक होती है।”


🌧️ वर्षा ऋतु का प्रारंभ

कर्क संक्रान्ति के साथ ही वर्षा ऋतु अपने चरम पर पहुँचती है। कृषक वर्ग के लिए यह अत्यंत लाभकारी समय है, क्योंकि धान, मक्का, बाजरा जैसे खरीफ फसलों की बुवाई इस समय में होती है। अतः कृषि जीवन चक्र का यह महत्वपूर्ण अंग है।


एस्ट्रो स्टार टॉक के विचार

कर्क संक्रान्ति केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का परिवर्तनकाल है। यह पितरों की शांति, दान-पुण्य, वर्षा ऋतु की कृपा और जीवन में संतुलन का प्रतीक है। इस दिन का हर कर्म – चाहे वह स्नान हो, दान हो या जाप – आपको आध्यात्मिक उत्थान की ओर अग्रसर करता है।


🔖 लेखक: Astro Star Talk
🔔 नोट: अधिक ज्योतिषीय जानकारी और व्यक्तिगत राशिफल के लिए हमारे ऐप पर जुड़ें।