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कल्कि जयंती

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कल्कि जयंती

Posted on 30 July 2025 | by Astro Star Talk

🌺 कल्कि जयंती: कलियुग के अंत का दिव्य संदेश और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक

आज का दिन सम्पूर्ण हिंदू समाज के लिए अत्यंत पावन और आध्यात्मिक महत्व वाला है — कल्कि जयंती, जो भगवान विष्णु के दसवें और भविष्य में होने वाले अवतार भगवान कल्कि के प्राकट्य की प्रतीक तिथि है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिव्य अवसर 30 जुलाई, बुधवार को पड़ रहा है।

📿 रांची (भारत) में इस दिन का पूजन मुहूर्त दोपहर 3:53 बजे से लेकर शाम 6:32 बजे तक रहेगा — यानी लगभग 2 घंटे 39 मिनट तक शुभ समय में पूजन, ध्यान और जप करना विशेष फलदायी माना गया है।


🌟 कल्कि अवतार का आध्यात्मिक महत्त्व

भगवान श्रीहरि विष्णु जब-जब पृथ्वी पर अधर्म और अन्याय का बोलबाला देखते हैं, वे किसी न किसी रूप में अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं। ऐसे ही, भगवान कल्कि को उनके दशम (दसवें) अवतार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
जब कलियुग में पाप, अन्याय, हिंसा और असत्य अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएंगे, तब भगवान कल्कि सफेद घोड़े ‘देवदत्त’ पर सवार होकर, हाथ में दिव्य तलवार लिए प्रकट होंगे और संसार को अधर्म से मुक्त करेंगे। उनका अवतरण धर्म की पुनर्स्थापना और सत्य की विजय का प्रतीक होगा।


📜 पुराणों में वर्णित कल्कि अवतार की भविष्यवाणी

  • श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल गाँव में ब्राह्मण विश्णुयश और सुमति देवी के घर होगा।
    उनका उद्देश्य कलियुग का समापन कर सतयुग की पुनरारंभना करना होगा।
  • स्कंद पुराण में वर्णन है कि कल्कि भगवान चारों वेदों और समस्त शस्त्रों के ज्ञाता होंगे। वे अधर्मियों का नाश कर सत्य, दया और धर्म की फिर से स्थापना करेंगे।
  • यह भी कहा गया है कि जब मानवता पतन की ओर अग्रसर हो जाएगी, और सत्य, करुणा, नैतिकता जैसे गुण लुप्त हो जाएंगे, तभी तेजस्वी और दिव्य रूप में भगवान कल्कि का अवतरण होगा।

🔍 कल्कि अवतार से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • कल्कि’ शब्द का अर्थ है — "अधर्म का अंत करने वाला"
  • उनके पास जो दिव्य तलवार होगी, उसे स्वयं भगवान ब्रह्मा या परमेश्वर सौंपेंगे।
  • यह अवतार कालचक्र के अंतिम चरण, अर्थात कलियुग के अंत में होगा।
  • उनके साथ युग परिवर्तन की शुरुआत होगी — कलियुग समाप्त होगा और सतयुग की पुनः स्थापना होगी।

🛕 कल्कि जयंती पर पूजा-विधि और धार्मिक परंपराएँ

इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और कल्कि अवतार की पूजा की जाती है।
👉 शुभ मुहूर्त में:

  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
  • कल्कि भगवान का ध्यान करें
  • विष्णु मंत्रों का जप करें
  • व्रत रखें और पवित्र भाव से भक्ति करें
  • मंदिरों में कल्कि कथा और सामूहिक पूजा का आयोजन होता है

इस दिन की भक्ति साधना से मन, तन और जीवन में पवित्रता और सद्गुणों का संचार होता है।


🕉️ कल्कि जयंती से मिलने वाली प्रेरणा

कल्कि जयंती केवल एक भविष्यवाणी का प्रतीक नहीं, बल्कि यह हमें यह सिखाती है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, धर्म, सत्य और न्याय की जीत निश्चित है।
यह पर्व हमें धैर्य, संयम और विश्वास के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर होगा, तब भगवान स्वयं आकर उसका अंत करेंगे — यह विश्वास ही हमारी आस्था की जड़ है।

“धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।”
श्रीमद्भगवद्गीता


🙏 आइए इस पावन अवसर पर संकल्प लें...

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समाज में प्रेम, सहिष्णुता और सद्भाव बनाए रखें, और भगवान विष्णु के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

🌼 कल्कि जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं मंगलमय शुभेच्छाएँ! 🌼