Book your private session

Get genuine guidance from
Pandit Basant Vyas Ji

Book Now

BLOG

बुध प्रदोष व्रत 2025

Blog Image

बुध प्रदोष व्रत 2025

Posted on 05 August 2025 | by Astro Star Talk

बुध प्रदोष व्रत 2025: श्रावण मास का दुर्लभ संयोग, शिव कृपा और बुध दोष से मुक्ति

बुध प्रदोष व्रत, भगवान शिव और ग्रहों के संदेशवाहक बुध (Mercury) को समर्पित एक अत्यंत शुभ, प्रभावशाली और पुण्यदायी उपवास है। जब यह व्रत श्रावण मास में और बुधवार को एक साथ आता है, तब इसकी धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है।

इस वर्ष यह दुर्लभ संयोग 6 अगस्त 2025, बुधवार को पड़ रहा है — एक ऐसा समय जब शिव उपासना, बुध ग्रह की शांति, और मानसिक, पारिवारिक, एवं व्यावसायिक संतुलन के लिए साधना अत्यधिक फलदायक होती है।

तिथि, प्रदोष काल और पंचांग विवरण

विवरण

समय

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ

2:08 PM – 6 अगस्त 2025

त्रयोदशी तिथि समाप्त

2:27 PM – 7 अगस्त 2025

प्रदोष काल (पूजन का श्रेष्ठ समय)

6:28 PM से 8:39 PM (6 अगस्त 2025)

वार

बुधवार

मास

श्रावण शुक्ल पक्ष

नक्षत्र

विशाखा

चंद्रमा की स्थिति

तुला राशि में

महत्वपूर्ण संयोग: श्रावण मास + शुक्ल त्रयोदशी + बुधवार = बुध प्रदोष व्रत का विशेष योग

बुध प्रदोष व्रत क्या है?

प्रदोष व्रत शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत दिन विशेष के अनुसार विभिन्न नामों से जाना जाता है — जैसे सोम प्रदोष, गुरु प्रदोष, और बुध प्रदोष व्रत। बुधवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत बुध ग्रह और भगवान शिव दोनों की कृपा प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना गया है।

व्रत का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्त्व

धार्मिक पक्ष:

• भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, नंदी और कार्तिकेय की सामूहिक पूजा से पारिवारिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
• शिव कृपा से जीवन में संतुलन आता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषीय पक्ष:

• बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, तर्कशक्ति, व्यापार, लेखन, संवाद और शिक्षा का कारक है।
• यदि कुंडली में बुध अशुभ हो या वक्री हो, तो इस व्रत से ग्रहदोषों की शांति होती है।
• व्रत से मानसिक शांति, स्थिरता और निर्णय क्षमता में सुधार होता है।

व्रत करने की पूजन विधि

व्रत की शुरुआत:

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। व्रती को हरे, सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
  2. व्रत का संकल्प लें – "मैं आज बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव के निमित्त कर रहा हूँ।"
  3. पूजा स्थान की सफाई करें और शिवलिंग की स्थापना करें।

प्रदोष काल पूजा (संध्या पूजन):

• समय: सूर्यास्त से 1 घंटा 20 मिनट पूर्व से सूर्यास्त के 40 मिनट बाद तक।
• शिवलिंग अभिषेक: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से करें।
• पूजन सामग्री: बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद पुष्प, हरी सब्जियाँ व फल अर्पित करें।
• मंत्र जाप:
o "ॐ नमः शिवाय"
o "ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः"
• आरती करें और बुध प्रदोष व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

व्रत पारण:

• व्रत का समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।
• फलाहार या एक समय का सात्विक भोजन करें।

बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा (संक्षेप में)

एक दामाद ने बुधवार को पत्नी को मायके से विदा कराया जबकि यह यात्रा वर्जित मानी जाती है। रास्ते में उसे अनेक कष्ट हुए। पश्चाताप करते हुए उसने भगवान शिव की आराधना की और बुध प्रदोष व्रत किया। शिव कृपा से उसके सारे संकट दूर हो गए।

👉 यह कथा इस व्रत की महिमा को दर्शाती है – सच्चे मन से शिव का स्मरण सभी बाधाओं को दूर करता है।

व्रत के विशेष नियम और सावधानियाँ

करें

न करें

व्रत में संयम, शुद्ध आचरण और सात्विकता रखें

झूठ, क्रोध, अपशब्द और झगड़े से बचें

फलाहार या निर्जल व्रत रखें (शक्ति अनुसार)

मांस, मद्य और तामसिक भोजन से परहेज करें

शिव परिवार की सामूहिक पूजा करें

केवल शिवलिंग पूजन तक सीमित न रहें

ब्राह्मण को भोजन और दान दें

पूजा को केवल बाह्य क्रिया न मानें

बुध दोष निवारण हेतु उपाय

उपाय

लाभ

"ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः" का जाप

बुध ग्रह की शांति

शिवलिंग पर हरी मूंग, हरे फल, सफेद पुष्प अर्पण

बुध को प्रसन्न करने हेतु

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाना

बुध दोष शमन

हरे वस्त्र और चंदन का प्रयोग

ग्रहों की अनुकूलता बढ़ती है

बुध प्रदोष व्रत: ज्योतिषीय दृष्टि से लाभ

  1. यदि बुध छठे, अष्टम या द्वादश भाव में अशुभ हो तो रोग, कर्ज और शत्रु बाधाएं कम होती हैं।
  2. यदि बुध चंद्र या शनि के साथ हो, तो मनोविकार और भ्रम की स्थिति सुधरती है।
  3. व्यापार में नुकसान, वाणी दोष या निर्णय क्षमता की कमी हो, तो यह व्रत अत्यंत लाभकारी है।

बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना का अत्यंत पुण्यदायी अवसर है, जो न केवल आध्यात्मिक कल्याण देता है, बल्कि बुध ग्रह से जुड़ी समस्याओं को भी शांत करता है।

जिन व्यक्तियों को बुद्धि, वाणी, व्यापार, शिक्षा, या संतान संबंधी कष्ट हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होता है।

श्रद्धा, भक्ति और विधिपूर्वक किया गया यह व्रत जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और सुख-शांति लाता है।

✍️ लेखक: टीम एस्ट्रो स्टार टॉक
📌 विशेषज्ञ परामर्श हेतु संपर्क करें: www.astrostartalk.com
🔗 लेख उपयोगी लगा हो तो मित्रों और परिजनों संग साझा करें – शिव कृपा और बुध शांति सबको प्राप्त हो।