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रक्षाबंधन 2025

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रक्षाबंधन 2025

Posted on 08 August 2025 | by Astro Star Talk

रक्षाबंधन 2025: शुभ मुहूर्त, पौराणिक महत्त्व और वैदिक परंपरा

रक्षाबंधन, भारतीय संस्कृति का एक अद्भुत त्योहार, भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को पूरे भारतवर्ष सहित विश्वभर में बसे भारतीय समुदाय द्वारा अत्यंत श्रद्धा और उमंग के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

यह पर्व केवल राखी बांधने और उपहारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संस्कार, संकल्प और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी संदेश देता है।

रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी धार्मिक या पारंपरिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। रक्षाबंधन पर राखी बांधने का समय भद्रा काल से मुक्त होना चाहिए, जिससे कार्य की शुभता बनी रहे।

🔹 राखी बांधने का शुभ समय:
📅 9 अगस्त 2025 (शनिवार)
🕔 प्रातः 5:22 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक
(कुल अवधि – 8 घंटे 2 मिनट)

🔹 अत्यंत शुभ "अपराह्न मुहूर्त":
🕐 दोपहर 1:12 बजे से 1:24 बजे तक
(मात्र 12 मिनट, परंतु अत्यंत पवित्र और शुभ)

🔹 पूर्णिमा तिथि का काल:
🕓 प्रारंभ – 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे से
🕓 समाप्ति – 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:24 बजे तक

🔹 भद्रा काल की समाप्ति:
इस वर्ष भद्रा काल सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगा, अतः प्रातः काल से ही राखी बांधना पूर्णतः शुभ और कल्याणकारी रहेगा

रक्षाबंधन का पौराणिक एवं वैदिक महत्त्व

रक्षाबंधन का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों और धार्मिक कथाओं में मिलता है। यह केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं, बल्कि रक्षा, विश्वास और धर्म-रक्षा का व्रत है।

🔶 पौराणिक कथाएं:

  • देव-दानव युद्ध में रक्षा सूत्र:
    जब देव और दानवों के बीच घोर संग्राम हुआ, तब देवगुरु बृहस्पति के कहने पर इंद्राणी ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा, जिससे वे विजयी हुए।
  • कृष्ण और द्रौपदी:
    महाभारत में, भगवान श्रीकृष्ण के घायल होने पर द्रौपदी ने अपने आँचल का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बाँधा। इसके बदले श्रीकृष्ण ने जीवन भर द्रौपदी की रक्षा का वचन निभाया।
  • रानी कर्णावती और हुमायूं:
    इतिहास में भी रक्षाबंधन का उदाहरण मिलता है जब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा का अनुरोध किया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया।

रक्षाबंधन की परंपराएं और विधि

पारंपरिक विधि:

  1. बहनें प्रातः स्नान कर पूजन की थाली सजाती हैं जिसमें राखी, अक्षत, रोली, दीपक और मिठाइयाँ होती हैं।
  2. भाई की आरती उतारी जाती है, तिलक लगाया जाता है और कलाई पर राखी बाँधी जाती है।
  3. भाई बहन को उपहार देता है और जीवन भर रक्षा का संकल्प करता है।
  4. इसके बाद सभी मिलकर पारंपरिक भोजन का आनंद लेते हैं।

वैदिक सुझाव:

  • राखी बांधते समय “ॐ रक्षारक्षाय स्वाहा” या “येन बद्धो बलि राजा...” मंत्र का जप अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इस दिन पीले, केसरिया या लाल वस्त्र धारण करना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।

रक्षाबंधन का ज्योतिषीय महत्व

राखी का यह पर्व श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो चंद्रमा के पूर्ण रूप का दिन होता है। यह समय भावनाओं की गहराई और रिश्तों की प्रगाढ़ता को दर्शाता है।

  • इस दिन चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है, और भावनात्मक बंधन अत्यंत मजबूत होते हैं।
  • कर्क और सिंह राशि वालों के लिए यह दिन विशेष लाभकारी माना गया है।
  • राशि अनुसार शुभ रंगों और वस्त्रों का चयन कर पर्व की ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है।

समाज और संस्कृति में रक्षाबंधन का योगदान

  • यह पर्व नारी सम्मान, सामाजिक एकता और आत्मिक सुरक्षा का प्रतीक है।
  • यह हमें यह भी सिखाता है कि रिश्ते सिर्फ खून के नहीं होते, बल्कि भावनाओं और कर्तव्य से भी बनते हैं।
  • आज के युग में यह पर्व बहनों-बेटियों के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा की पुनः पुष्टि का अवसर है।

संकल्प लें इस रक्षाबंधन पर

रक्षाबंधन केवल त्योहार नहीं, बल्कि कर्तव्य और संस्कृति का प्रतीक है। आइए, इस पावन अवसर पर हम संकल्प लें—

🔹 अपनी बहनों, बेटियों और नारी शक्ति की रक्षा और उत्थान का
🔹 समाज में प्रेम, सहयोग और सद्भाव फैलाने का
🔹 भारतीय परंपराओं को सम्मानपूर्वक आगे बढ़ाने का

रक्षाबंधन 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!

Astro Star Talk परिवार की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के पावन पर्व की मंगलमय शुभकामनाएं।
आपके जीवन में प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का यह सूत्र सदा बना रहे।

📌 लेखक: ज्योतिषाचार्य पं. विनोद व्यास
📌 स्रोत: वैदिक पंचांग व मुहूर्त गणना (Astro Star Talk)

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