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हरतालिका तीज 2025

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हरतालिका तीज 2025

Posted on 23 August 2025 | by Astro Star Talk

हरतालिका तीज 2025: तिथि, पूजा मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। यह व्रत मुख्यतः सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। साथ ही, कुंवारी कन्याएँ भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत का संकल्प लेती हैं।

इस वर्ष हरतालिका तीज मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसी उपलक्ष्य में यह व्रत आरंभ हुआ।


हरतालिका तीज 2025 की तिथि और समय

  • हरतालिका तीज की तिथि – मंगलवार, 26 अगस्त 2025

  • तृतीया तिथि प्रारंभ – 25 अगस्त 2025, दोपहर 12:34 बजे

  • तृतीया तिथि समाप्त – 26 अगस्त 2025, दोपहर 01:54 बजे

पूजन का शुभ मुहूर्त

  • प्रातःकालीन हरतालिका पूजा मुहूर्त – 05:29 AM से 08:01 AM तक

  • अवधि – 2 घंटे 33 मिनट


हरतालिका तीज व्रत का महत्व

  1. सौभाग्य वर्धिनी तिथि – यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।

  2. मनोकामना पूर्ति – अविवाहित कन्याएँ इस व्रत को योग्य पति की प्राप्ति के लिए करती हैं।

  3. धार्मिक मान्यता – मान्यता है कि इस व्रत से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

  4. स्वास्थ्य और शांति – व्रत करने से मानसिक शांति मिलती है और परिवार में समृद्धि आती है।


हरतालिका तीज पूजा विधि

हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागन महिलाओं द्वारा अखंड सुहाग, सौभाग्य तथा अविवाहित कन्याओं द्वारा उत्तम वर पाने की कामना से रखा जाता है। इस व्रत पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। पूजा विशेष रूप से शाम के समय प्रदोष काल या गोधूलि बेला में करना श्रेष्ठ माना जाता है।

पूजन विधि और सामग्री

  • सुबह: स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें। घर के मंदिर में व्रत का संकल्प लें और दीपक जलाएं। सभी देवी देवताओं को धूप-दीप दिखाएं।

  • मूर्ति स्थापना: शिव, पार्वती एवं गणेशजी की प्रतिमा (मिट्टी या बालू रेत से निर्मित) चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।

  • सजावट: चौकी को फूल-मालाओं व रंगोली से सजाएं।

  • सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, काजल, सिन्दूर, ककड़ी, हलवा, सुहाग का सामान माता पार्वती को अर्पित करें।

  • शिव जी को वस्त्र: शिवजी को धोती और अंगोछा अर्पित करें।

  • कथा वाचन: व्रत की कथा सुनना अनिवार्य है; कथा के दौरान हाथ में चने या चावल के दाने रखें और कथा पूर्ण होने पर भगवान को समर्पित करें।

  • आरती और परिक्रमा: सबसे पहले श्री गणेश, फिर शिव और बाद में माता पार्वती की आरती करें। परिक्रमा करें।

  • हवन: इच्छानुसार छोटा हवन करें (परंपरागत रूप से उपलों का प्रयोग किया जाता है)।

  • रात्रि जागरण: रात्रि जागरण कर भजन, कीर्तन करें।

व्रत पूर्ण करने की विधि

  • चंद्रमा को अर्घ्य: रात को चंद्र दर्शन के समय, पहले से चढ़ाया जल अर्घ्य स्वरूप चंद्रमा को अर्पित करें।

  • दक्षिणा और सामग्री का दान: पूजा के बाद सुहाग सामग्री अपनी सास, ननद, जेठानी या किसी ब्राह्मण/पंडिताइन को दें।

  • विसर्जन: पूजन सामग्री और मूर्तियाँ अगले दिन पवित्र नदी या जलाशय में विसर्जित करें।

शुभ मुहूर्त (2025)

  • तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 12:34 बजे

  • तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 1:54 बजे

  • सुबह का मुहूर्त: 05:56 AM - 08:31 AM

  • प्रदोष काल: 06:49 PM - 07:11 PM

  • व्रत पारण: 27 अगस्त 2025 सुबह, पूजा के बाद

पर्व का महत्व

इस व्रत की मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी और अनन्य श्रद्धा से उन्हें पाया था। अतः व्रती स्त्रियाँ पार्वती जी के समान सुख-सौभाग्य और उत्तम दाम्पत्य जीवन की कामना करती हैं।


हरतालिका तीज व्रत कथा

प्राचीन काल में हिमालय की पुत्री माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थीं। परंतु हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का निश्चय किया। जब पार्वती को यह बात पता चली तो वे अत्यंत दुखी हुईं और अपनी सखी के साथ घने वन में चली गईं।

वहाँ उन्होंने कठोर तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने कई दिनों तक भोजन और जल का त्याग कर केवल पत्तों और हवा पर ही जीवन व्यतीत किया। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और माता पार्वती से वर मांगने को कहा। पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने की प्रार्थना की।

भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान दिया और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस दिन को हरतालिका तीज कहा जाने लगा।

  • "हर" का अर्थ है भगवान शिव

  • "तालिका" का अर्थ है सखी (जिसके साथ पार्वती वन में गईं)

  • और "तीज" का अर्थ है तृतीया तिथि।

इस प्रकार हरतालिका तीज का यह व्रत स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य और अविवाहित कन्याओं के लिए योग्य वर प्राप्त करने का श्रेष्ठ उपाय माना गया।


एस्ट्रो स्टार टॉक के विचार

हरतालिका तीज केवल एक व्रत ही नहीं, बल्कि नारी शक्ति, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। इस व्रत का पालन करने से न केवल पारिवारिक जीवन सुखमय होता है बल्कि जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार भी होता है।

इस बार 26 अगस्त 2025 को माता पार्वती और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा कर अपने जीवन को सौभाग्य, प्रेम और सुख-समृद्धि से भरें।

🌸 "हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ!" 🌸